सोमवार, 15 जून 2015

अँगना बेला महक गया

बगिया क्यारी हुई सुवास
अँगना बेला महक गया

पी कर खुशबू पवन झकोरा
बौराया सा डोले
गीतों की गुंजन में भँवरा
प्रेम पिटारी खोले
गुनगुन सा मृदुहास
अँगना बेला चहक गया

चुन चुन कलियाँ मालिन गूँथे
कँगना, झूमर, गजरा
दर्पण देखे रूप, लजाए
नयनन आँजे कजरा
तन-मन था मधुमास
वेणी बेला लहक गया

जूही चम्पा रजनी गंधा
गुपचुप करतीं बातें
कौन हाट से लाई खुशबू
मोती सी सौगातें
पूनो छिटके हास
भीगा, बेला दहक गया

- शशि पाधा
१५ जून २०१५

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